यहां परदे के पीछे चलती है एक और लीलापूर्ण आहुति हवन के साथ पर्वतीय रामलीला का हुआ समापन
■यहां परदे के पीछे चलती है एक और लीला
पूर्ण आहुति हवन के साथ पर्वतीय रामलीला का हुआ समापन
■सितारगंज/पर्वतीय सांस्कृतिक विकास समिति के रंग मंच पर आयोजित लीला का समापन पूर्ण आहुति यज्ञ के साथ हुआ 10 दिन की रामलीला और लगभग 2 महीने की तालीम के पीछे की रोचक कहानी रामलीलाओं के स्टेज पर बेहतरीन एक्टिंग करने पर एक्टरों को तारीफ भी मिलती है, लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसे कलाकार भी होते हैं, जो अच्छा काम करने के बावजूद वाहवाही बटोरने से चूक जाते हैं। दरअसल ऐसे कलाकार मेकअप मैन हैं, जो पर्दे के पीछे आर्टिस्ट की वेशभूषा पर ध्यान देते हैं, उन्हें वास्तविक चरित्र का रूप देते हैं, पर खुद पर्दे के पीछे गुमनामी में खोए रहते हैं। सितारगंज रामलीला में मेकअप कर रहे प्रेम राम कहते हैं कि श्री राम की कृपा ही तो है उम्र कैसे पड़ाव में भी रामलीला के इस महान यज्ञ में एक छोटी सी आहुति दे रहा हूं पिता पुत्र की जोड़ी बिगत कई वर्षों से पर्दे के पीछे बखूबी अपना रोल निभा रहे हैं
प्रेम राम कहते हैं मुझे ये काम बहुत अच्छा लगता है। एक आर्टिस्ट का मेकअप करने में कम से कम 1 घंटे का समय लगता है। रावण, शिव भगवान जैसी किरदारों का मेकअप करते समय बहुत ध्यान रखना पड़ता है। जब तक आपको भगवान शिव या अन्य भगवान के बारे में पूरी जानकारी नहीं होगी तब तक मेकअप करने में दिक्कत आएगी। प्रेम राम के पुत्र विनय कुमार कहते हैं कि मुझे रामलीला से जुड़ने का मौका मिला। शुरुआत में मैंने रामलीला में मेघनाथ और परशुराम का रोल किया। इस तरह बहुत कुछ सीखने को मिला। धीरे-धीरे मैंने आर्टिस्ट का मेकअप करना शुरू कर दिया। पिछले 10 साल से अब मैं यहां मेकअप मैन का काम कर रहा हूं। रामलीला के मंचन को सफल बनाने में पहन के पीछे आने कैसे किरदार है जिनके योगदान को नजर अंदाज किया जा सकता 10 दिन की रामलीला में उमेद सिंह नेगी सेफ पर्दा खोलते ही रामलीला के विभिन्न पात्रों का चित्रण दिखना शुरू हो जाता है उमेद सिंह नेगी 10 दिनों तक लगातार पर्दे की व्यवस्था संभालते हैं नेगी कहते हैं कि श्री राम की भक्ति में रमने ने का एक अवसर प्राप्त होता है मुझे पर्दे में भी श्री राम दिखाई देते हैं वहीं साज सज्जा व कपड़ों की व्यवस्था संभाल रहे लक्ष्मी दत्त सकलानी कहते हैं कि हालांकि मुश्किल होता है 108 पत्रों के कपड़ों की देख रेख करने केसाथ-साथ पात्रों को कपड़े पहनना और कपड़ों को सुनेयोजित तरीके से रखना ताकि वक्त पड़ने पर उन कपड़ों को पुनः प्रयोग कर सकें वही इलेक्ट्रीशियन बसंत आर्या कहते हैं कि लंबे समय से मैं इस मंच से जुड़ा हुआ हूं आज जो भी हूं वह श्री राम के आशीर्वाद से हूं बसंत आर्या इलेक्ट्रीशियन के कार्य के अलावा जरूरत पड़ने पर रामलीला में विभिन्न पत्रों का अभी नहीं करने में भी संकोच नहीं करते पूर्णाहुति हवन के बाद पार्वती रामलीला का समापन हो गयाहै समिति के अध्यक्ष गोपाल सिंह बिष्ट ने सफल कार्यक्रम के लिए कमेटी पदाधिकारी के साथ क्षेत्रवासियों का आभार जताया।