अतिक्रमण हटाने में प्रशासन कर गया खेल-दो पूर्व और एक वर्तमान कर्मचारी ने करोड़ों की जमीन पर किया है कब्जा -राजस्व और बंदोबस्ती विभाग की जांच में हुई थी पुष्टि, प्रशासन ने एसडीएम कोर्ट में दाखिल कर दिया वाद
●अतिक्रमण हटाने में प्रशासन कर गया खेल
●दो पूर्व और एक वर्तमान कर्मचारी ने करोड़ों की जमीन पर किया है कब्जा -राजस्व और बंदोबस्ती ●विभाग की जांच में हुई थी पुष्टि, प्रशासन ने एसडीएम कोर्ट में दाखिल कर दिया वाद
■नारायण सिंह रावत
■सितारगंज। क्षेत्र में तहसील प्रशासन सरकारी जमीन से कब्जे हटाने में भी खेल कर गया। एक पूर्व बीडीओ, समेत सरकारी कर्मचारियों के सरकारी जमीन पर किये गए कब्जे की पष्टि के बाद राजस्व विभाग में इसे लटकाने का पूरा इंतजाम कर लिया। प्रशासन में इसका बाद विहत पदाधिकारी कोर्ट में दाखिल कर कब्जा नहीं हटाया। नगर के बीचोबीच बेशकीमती जमीन पर कब्जा कर तीनों ने वहां मकान भी बना लिया। जांच में अवैध कब्जों की पुष्टि होने के बाद विभाग के कर्मचारी फाइल दबा कर बैठे हैं। बंदोबस्ती विभाग ने इसे तोड़ने के लिए एसडीएम को पत्र लिखा था। इस जमीन का पूरा ब्योरा तैयार किया गया था। इसके बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सितारगंज शहर में तीन सरकारी कर्मचारियों ने नगर के बीचोंबीच करोड़ों की बेशकीमती सरकारी भूमि पर बकायदा पक्के भवन निर्मित कर लिए हैं। हालांकि यह कब्जा ताजा नहीं वर्षों पुराना है, लेकिन शहर के मध्य बेशकीमती जमीन पर पक्के निर्माण होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने लापरवाही बरती। मामला नगर के किच्छा मार्ग स्थित गन्ना सोसायटी भवन के पास पड़े खाता संख्या 274 के खेत संख्या 71/1 का है। उक्त भूमि का कुल रकबा 0.252 है। इसमें से 0.0057 हेक्टेयर जमीन पशुपालन विभाग को हस्तांतरित की जा चुकी है। शेष भूमि पर सेवानिवृत खंड विकास अधिकारी बीसी जोशी, सेवानिवृत लिपिक घनश्याम राणा व वर्तमान में खटीमा में तैनात लिपिक किशन सिंह बिष्ट ने अवैध कब्जा कर आवास बना लिए हैं। इन कब्जेदारों ने आसपास में उक्त जमीन ब्लॉक द्वारा उन्हें आवंटित होने की भ्रांति फैलाकर लोगों को गुमराह किया है। जबकि खण्ड विकास कार्यालय ने उक्त बयानों को खारिज कर दिया। ब्लॉक के अधिकारियों का कहना है कि उक्त स्थान पर विभाग की कोई जमीन ही नही है ना ही इस तरह का कोई आवंटन अभिलेखों में दर्ज है। जून में इन कब्जों की शिकायत तहसील प्रशासन से की गई। 5 जून को शिकायत के बाद एसडीएम ने नायब तहसीलदार को जांच कर आख्या मांगी। जांच में अवैध कब्जों की पुष्टि हुई। मला पूर्व खंड विकास अधिकारी और ब्लॉक के दो अन्य कर्मचारियों से जुड़ा था इसलिए प्रशासन भी बैक फुट पर आ गया। सरकारी कर्मचारियों के मिली भगत से प्रशासन ने अवैध कब्जों की पुष्टि के बाद भी इसे हटाना उचित नहीं समझा। विभाग एक तरफ तो शहर में जहां कहीं अतिक्रमण होता है उसको तुरंत गिरा देता है जबकि दो सेवानिवृत्त और एक वर्तमान कर्मचारी के कब्जे की पुष्टि होने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की। इन कब्जों को लेकर नायब तहसीलदार ने 27 जून को एसडीएम को आख्या दी की इस मामले का निर्णय विहित प्राधिकरी कोर्ट से किया जाए। इसके बाद कब्जा की पुष्टि होने के बाद भी इससे विहीत प्राधिकारी कोर्ट में डाल दिया गया।
इनसेट
सचिव ने भी अतिक्रमण हटाने के दिए हैं निर्देश
राज्य के मुख्य सचिव डॉक्टर एस संधू ने बीती मई में सभी जिलाधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुराने सरकारी जमीनों का रिकॉर्ड खंगलने और उनको दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। साथ ही सभी सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने को भी कहा है। इसके बाद भी अधिकारी इस अतिक्रमण पर मौन साधे हैं।
इनसेट
झूठा शपथ पत्र देकर ले लिया बिजली कनेक्शन
सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले दो पूर्व और एक वर्तमान ब्लॉक करने में झूठा शपथ पत्र देखकर बिजली का कनेक्शन लिया । यह शारदा जोशी-भुवन चन्द्र जोशी कनेक्शन जारी वर्ष 2003/ कनेक्शन न0 882H534114111
गीता बिष्ट-पत्नी किशन सिंह बिष्ट
कनैक्शन वर्ष19 अगस्त 2022/ संख्या 882H126139024
घनश्याम राणा पुत्र चंद्र सिंह
जारी किया वर्ष 2011/ कनेक्शन न0 882H534161621 है।